हनुमान प्रसाद पोद्दार जी (श्रीभाई जी) - 9

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व्यवस्थाके लिये अपरिचित व्यक्तिको स्वप्नादेशबम्बई प्रवासके समय एक और विचित्र घटना घटित हुई। भाईजी एक बार किसी कार्यवश इन्दौरके पास एक महू नामक नगरमें गये। वे पहुँचे तबतक रात्रि हो गयी थी। वे एक धर्मशालामें गये और वहाँके व्यवस्थापकसे रहनेके लिये स्थान माँगा। व्यवस्थापकने कह दिया यहाँ कोई कमरा खाली नहीं है। भाईजीने पुनः कहा मुझे तो केवल रात्रि-विश्राम करना है, कोई छोटा स्थान भी दे दें तो काम चल जायगा। व्यवस्थापकने कुछ रुखाईके साथ कहा— आपको एक बार कह दिया यहाँ कोई कमरा खाली नहीं है। किसी होटलमें ठहर जाइये। होटलमें ठहरनेका भाईजीके लिये प्रश्न ही नहीं था। अतः