[ शिवाजी महाराज और मराठी भाषा ]"राज्य का कामकाज उसी भाषा में होना चाहिए, जो भाषा वहाँ की जनता रोजाना इस्तेमाल करती है। शिवाजी इस संकल्पना को स्वीकार करते हुए चलें। आम आदमी की भाषा और राजभाषा में अंतर होने पर थोड़े ही लोगों को लाभ होता है। प्रशासन की व्यवस्थाएँ कुछ थोड़े ही लोगों के हाथ में रहती हैं, जिससे आम आदमी का शोषण शुरू हो जाता है। शिवाजी इस तथ्य को अच्छी तरह समझ चुके थे। उन्होंने जानबूझकर अपने राज्य का कामकाज स्थानीय भाषा में ही करने की परंपरा बनाई।'माझा मराठी ची बोलु कौतुके परि अमृतात ही पैज