खण्डकाव्य रत्नावली 7 श्री रामगोपाल भावुक के उपन्यास ‘’रत्नावली’’ का भावानुवाद रचयिता :- अनन्त राम गुप्त बल्ला का डेरा, झांसी रोड़ भवभूति नगर (डबरा) जि. ग्वालियर (म.प्र.) 475110 सप्तम अध्याय – राजापुर दोहा – राजापुर के घाट पर, जाके लागी नाव। बच्चे यों कहने लगे, मैया आगई गॉंव ।। 1 ।। ऊपर घाट मकान रहावै। सीधे चढ़े शीघ्र पहुंचावै।। सब बच्चे सामान लियाये। मैया को घर पहुंचा आये।। हरको नाम इक जोगिन रई। आवत जावत मन मिल भई।। जनकू जोगी की घरवारी। प्रसव न एकउ भयो विचारी।। लेकर राय