चिट्ठी का प्यार

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रमौली ख़ुद से ख़ुद की बातों में दिनरात उलझी हुई है। एक घुटन सी है उसके चारों ओर...। जहां पर उसका सिर्फ़ बनावटी चेहरा है। सारे रिश्तें नातों के बीच भी वह ख़ुद को अधुरा पाती है। उसकी वजह था 'शिवा'...। बात उन दिनों की हैं जब गांव में नए डाक बाबू आए थे। बलरामपुर गांव में एक ही डाकघर था। वो भी गांव की चौक के बीचों—बीच। इस गांव की सीमा चार गांवों से लगती थी और उन सभी चारों गांवों की सीमा शहर से जुड़ी हुई थी। लेकिन केंद्र बिंदू में बसे बलरामपुर से ही लोगों की डाक