दिवाली पर एक बच्ची का अपने पापा से आने का गुहार मेरे अल्फ़ाज़ में शायद अच्छा लगे!सबके पापा घर आ गए, आप भी घर आओ ना पापा!हर दिवाली की तरह, इस बार भी हमें न तड़पाओ पापा!कितनी आस लगाए बैठे है, जल्दी से घर आओ ना पापा!घर आकर अपनी गुड़िया को, गले से गले लगाओ ना पापा!बुड्ढी दादी के आंखें हूई पत्थर,उनको कंधा लगा टहलाओ ना पापा! गुमसुम पड़ीं मां के माथे चुम, चेहरे पर थोड़ी खुशी लाओ ना पापा!सबके पापा घर आ गए, आप भी घर आओ ना पापा!जहां करते हो काम, उनको भी मेरी दुखड़ा सुनाओ ना पापा!