शंकर का अद्वैत वेदांत

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अद्वैत वेदांत   ---- ** शंकर ने इस ब्रह्मांड के मूल में केवल ब्रह्म की सत्ता स्वीकार की है। उनकी दृष्टि से ब्रह्म ही अंतिम सत्य है। उनका यह ब्रह्म अनादि, अनंत और निराकार है। यही ब्रह्म इस ब्रह्मांड का कर्ता और उपादान कारण है। यही शंकर का अद्वैत है। शंकर के अनुसार सर्वप्रथम ब्रह्म अपनी इच्छा से अपने अंदर माया शक्ति का निर्माण करता है और पिफर इस माया शक्ति के द्वारा इस नाना वस्तु जगत का निर्माण करता है। शंकर के अनुसार माया ब्रह्म की बीज शक्ति है, यह न तो सत् है और न असत्। शंकर ने