26 हाँ, रे ठुनठुनिया...! ठुनठुनिया बारहवीं की परीक्ष देकर कुमार साहब के पास पहुँचा तो उसका दिन धुक-धुक कर रहा था। उसके मन में अजब-सा संकोच था। वह सोच रहा था, ‘फंक्शन की बात कुछ और है। पता नहीं, कुमार साहब अब मुझे पहचानेंगे भी कि नहीं?’ पर कुमार साहब तो जैसे उसी का इंतजार कर रहे थे। उसे पास बैठाकर चाय पिलाई और फिर अपने साथ ले जाकर पूरी फैक्टरी में घुमाया। फैक्टरी की एक-एक मशीन और उनके काम के बारे में बड़े विस्तार से बताया। आज की दुनिया में डिजाइनिंग के नए-नए तरीकों के बारे में बताया, जिसमें