आज से लगभग चालिस साल पहले की बात है,मैं एक गाँव की सरकारी पाठशाला में मास्टर था,गाँव के लोंग मेरी बड़ी इज्जत करते थे,बच्चे बूढ़े सभी मुझे सम्मान देते थे,गाँव के ज्यादातर लोंग पढ़े लिखे नहीं थे इसलिए जब भी उनकी कोई चिट्ठी या सरकारी कागज आता तो वें मुझसे पढ़वाने आ जाते थे, मेरा घर तो शहर में था लेकिन नौकरी गाँव में,रोज रोज शहर से गाँव जाना मुश्किल था,क्योंकि उस समय ना तो सड़के पक्की होतीं थीं और ना ही इतने वाहन चलते थे, इसलिए मैनें गाँव में एक किसान की कोठरी किराएं पर ले लीं,हफ्ते भर में