राजस्थान की कहावतें

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  छोटी मोटी कामणी सगळी विष की बेल (छोटी या बड़ी, सभी कामिनियाँ जहर की बल । अथवा विषय वासना की ओर ले जाने वाली हैं।) जवान में ही रस अर जबान में ही बिस। (बोली में ही रस है और बोली में ही विष रहता है।) जल को दूव्यो तिर कर निकले, तिरियो डूब्यो बह ज्याय। (जल का डूबा हुआ बच कर निकल सकता है, लेकिन जो नारी में आसक्त है, वह अवश्य डूब जाता है।) जी की खाई बाजरी, ऊँकी भरी हाजरी। (जिसका अन्न खाय, उसी की खुशामद की जाती है।) जेठा बेटा र