गांव कि सबसे सुंदर लड़की जिस पर में पहली कक्षा से ही मोहित था कभी उसे बोला नहीं ,,,,, विद्यालय जाने का एक यह भी महत्वपूर्ण उद्देश्य था की सुनीता मिल जाए वैसे नहीं मतलब दर्शन हो जाए,,,,, ,,,,, ,,,, ,,,, ,,,,, उस ने कभी मेरी तरफ देखा भी नहीं रोज़ जाता उसे देखता और वापस आ जाता हां वो मुझ से दो कक्षा आगे भी थी कभी कभी माता पिता के सामने दिदी भी बोलना पड़ता था। डर जो था माता पिता का आज तो वो मार भी कहां जो पहले पड़ती थी ऊ ऊ ऊ