गोलू भागा घर से - 5

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5 एक छोटी-सी चिट्ठी बहरहाल, अगला दिन। एक दुखभरे निर्णय का दिन। गोलू ने बस्ते में अपनी रखीं तो उसमें कॉपी के पन्ने पर लिखी एक छोटी-सी चिट्ठी भी सरका दी। वह चिट्ठी उसने आज सुबह ही लिखी थी। उस चिट्ठी में लिखा था : ‘आदरणीय मम्मी-पापा, चरण स्पर्श। मैं जा रहा हूँ। कहाँ? खुद मुझे पता नहीं। कुछ बनकर लौटूँगा, ताकि आपको इस नालायक बेटे पर शर्म न आए। दोनों बड़ी दीदियों और आशीष भैया को नमस्ते। —आपका गोलू’ कॉपी के ही एक पन्ने को फाड़कर उसने जल्दी-जल्दी में ये दो-चार सतरें लिख ली थीं। उस चिट्ठी को बस्ते