झूठे ने झूठ की खुलेआम हत्या कर दी

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एक गांव में सच बोलने वाले तीन दोस्त थे एक का नाम जुमलेश्वर नाथ सिंह था, दूसरे का नाम धर्मदेव कटियार था और तीसरे का नाम विकाश नाथ तेंदुलकर था, ये तीनो गांव में ही पढ़ाई कर के अलग अलग सहरो में कमाने चले गए, कुछ सालों बाद वे तीनों अपने गांव लौटे तो तीनों का एक गाँव के चौराहे पर जुटान हुवा और आपस मे तीनो बाते करने लगें और लंबी लम्बी कहानियां और अपनी दिनचर्या की बाते कर रहे थे, तभी जुमलेश्वर नाथ सिंह ने कहां की यार मैं अपनी बात क्या कहूं मैं तो जिस कम्पनी में