में और मेरे अहसास - 49

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चलो एक बार फिर से बचपन में चले जाते हैं lहर पल हर लम्हा चैन ओ सुकून की साँस पाते हैं ll   ******************************** जिंदगी रुक गई साँसें चलतीं रहीं lउम्मीदों के धागे से सिलती रहीं ll रोज रोज ख्वाइशे निकलती रहीं lयूही रात भर शमा पिघलती रहीं ll देख दुनिता दिल की जलती रहीं llदर्द से तरबतर फिर भी पलती रहीं ll   ******************************** गीत किसी और का लिखा गाऊं कैसे?बसंत मे ख़ुद के मन को हरषाउं कैसे?   ******************************** कम नहीं अहसान कद्रदानों के देख lहै निशाने पर हम कमानो को देख ll सामना कर रहे हैं, वार