शक्तिमान

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शक्तिमान मैं तुम्हें चिट्ठी लिखना चाहती हूं, लेकिन मुझे तुम्हारे घर का पता नहीं मालूम । तुम्हारे लिए चिट्ठी लिख चुकी हूँ। जब भी खेलने जाती हूं जेब में वह चिट्ठी भी साथ होती है। अगर तुम मेरे साथ खेलने आ जाओ तो चिट्टी तुम्हें वही दे दूंगी। पता है, जब भी पापा के साथ बाजार जाती हूं रोड किनारे तुम्हारा घर तलाश करती हूं, कि कहीं किसी घर के बाहर तुम्हारा नाम लिखा हुआ मिल जाए| चिट्ठी देने तुम्हारे घर ही चली आऊंगी, अगर तुम लोगों की मदद करने आसमान में भी होगे तो मैं चिट्ठी में अपना पता छोड़कर