खून का खेलमंदिर का दरवाज़ा बन्द होने को था और श्रेय वहां पहुंचा। उस वक़्त मंदिर में श्रेय और पुजारी के अलावा और कोई न था। श्रेय के कपड़े खून से लथपथ थे। श्रेय काफ़ी डरा हुआ था और हाफ़ रहा था। पुजारी ने उसे पूछा कि कोई दिक्कत है? पर वो वहां से भाग गया और मंदिर के पिछले हिस्से में जाकर छुप गया। श्रेय गांव के मुखिया का बेटा ही नहीं था पर काफ़ी होनहार और बाहदुर पुलिस ऑफिसर भी था। उसकी भरती हुए पूरा १ महीना भी नहीं हुआ था। पास के अमोला गांव में ही उसे