आरज़ू मेरी इस तरह मुकम्मल हुईं l याद उनकी दीदार ए यार दे गईं ll *********************** हर लम्हा हर पल हर वक्त मैं ग़ज़ल लिखता हूँ l हिमाकत तो देख इबादत मैं ग़ज़ल लिखता हूँ ll मौसम की तरह बदलते देखा है हसीनो को l बेवफा ओ की मुहब्बत मैं ग़ज़ल लिखता हूँ ll *********************** दुनियावाले क्या कहेगे परवाह नहीं l अब किसी के डर से मोड़ेगे राह नहीं ll बस एक बार दीदार ए यार हो जाए l दिल मे इस के सिवाय कोई चाह नहीं ll अजनबी जहाँ