तेरे लिए

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1.कसकमेरे शब्दों में शायद कोई महक न होती ग़र उसमे तेरे दूर होने की कसक न होती न चमकता चाँद, रातों को तनहा आवारा तुझसे मिलने की उसमे ग़र लहक न होती न मिलती मेरी ग़ज़लों की सूरत तुझसे कभीग़र पैबश्त उसमे तेरे यादों की खनक न होती 2.सपनों को सजा लूँहथेली पर मुठ्ठी भर सूरज छिपा लूँ,चाँदनी थोड़ी सी पलकों पर बिछा लूँ ,इत्मिनान से खोलना तुम अपनी आँखें,मैं ज़रा सपनों को क़रीने से सजा लूँ lशबनम की बूँदों से दरिया बना लूँ तेरे ज़िक्र को उसका किनारा बना लूँ ज़रा हलके से