दो समधी

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घर नजदीक होने के कारण सप्ताहांत में मैं लोकल बस पकड़कर घर चला जाया करता था । इस शनिवार भी घर जाने को बस पकड़ा और खिड़की वाली सीट पर आकर बैठ गया । बस खुली । कुछेक किलोमीटर आगे जाकर एक रेलवे फाटक पर खड़ी हो गयी । शायद कोई ट्रेन आनेवाली थी। आसपास में अन्य गाड़ियों की भी भीड़ लग गई थी । तभी, करीब 65-70 साल की उम्र के दो वृद्ध बस में चढ़ने को उसके दरवाजे के पास आकर खड़े हो गएँ और वहीं खड़े-खड़े बतियाने लगें । उन्हे बस के बाहर खड़ा देख बस कंडक्टर