यूं ही कोई मिल गया था.. - 3 - अंतिम भाग

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भाग – 3 बड़ी ही कशमकश में रात बीती। विशाल और संध्या से किसी भी तरह का सहयोग न मिलने से विहान टूट सा गया था। पर अपने निश्चय पर अडिग था । कोई साथ दे ना दे वो कल निशा के पापा से बात करने जरूर जायेगा। बिना किसी से बताए विहान नहा धोकर तैयार होकर निशा के घर पहुंच गया। सभी नाश्ता करके बैठे ही थे। विहान ने विभूति जी के पांव छुए। बिना आंखो से न्यूज पेपर हटाए "ठीक है" कहा। निशा की मां ने बैठने को कहा और नौकर से चाय नाश्ता लेने को कहा। विभूति