में और मेरे अहसास - 40

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सीने में दफन यादो का मेला है lकई सदियों से दिल ने जेला है ll दिन तो गूजर जाता है जेसे तैसे lशाम ढले अब लगता ठेला है ll आज फिर बाढ़ आई निगाहों में lसो गालों पे अश्कों का रेला है ll दर्द का साया ऐसे लिपटा है कि lदेख भीतर रूह तक फैला है ll हमेशा नाखुश रहीं हैं मुहब्बत lप्यार गुरु दर्द उसका चेला है ll ************************************** में अपने गमो मेऔर गम मुजमे खुश है।खुशीया ही अब मुजसे थोडी नाखुस है।|   ************************************** बड़े चाव से गुज़रे गली से उनकी तो lमुद्दतों के बाद दीदार ए यार