दरोगा अनवर तैयार होकर थाने के लिए निकल पड़ा।घर से थाने तक का रास्ता सड़क से होकर लम्बा था।लेकिन एक छोटा रास्ता भी था,जो सुनसान जंगल के बीच से जाता था।यह रास्ता कच्चा था।इस रास्ते से इक्के दुक्के लोग ही जाते थे।दरोगा अनवर चुपचाप चला जा रहा था।अचानक उसे खुसुर पुसुर की आवाज सुनाई पड़ी।इन आवाजो को सुनकर उसके पुलसिया कान सतर्क हो गए।जिस तरफ से आवाज आ रही थी।अनवर दबे कदमो से उस तरफ बढ़ गया।पास पहुचने पर आवाजे साफ सुनाई देने लगी।ये आवाजे औरत आदमी की थी।आगे बढ़ने पर उसे झाड़ियों के पीछे कुछ हरकत नज़र आई।वह फुर्ती