कालिदास के काव्यों में मानवीय सौन्दर्य निरूपण ( अ ) मानवीय सौन्दर्य ( ब ) पुरुष पात्र तथा तद्गत सौन्दर्य ( स ) नारी पात्र तथा तद्गत सौन्दर्य ( द ) गुण एवं शारीरिक सौन्दर्य मानवीय सौन्दर्यमानव सौन्दर्योपासक प्राणी है । उसकी सौन्दर्य उपासना में मानवीय सौन्दर्य का स्थान सर्वोपरि रहा है । यही उसकी सौन्दर्य वृत्ति पर सबसे अधिक प्रभाव डालता है । काव्य जगत के लिये भी मानवीय सौन्दर्य ही प्रेरणा का एक अखण्ड स्रोत रहा है । काव्य विभिन्न मानवीय सौन्दर्य चित्रणों की चित्रशाला है , जिसमें प्रकृत्यादि का सौन्दर्य वर्णन भी मानवीय सौन्दर्य - वर्धन हेतु ही चित्रित किया जाता है