नि.र.स. - कलम के किरदार -------------------------------------------------------------------------------------------------- Dedicate to my pen -------------------------------------------------------------------------------------------------- नज्में १. खुद की तलाश२. अंहकार की कलम३. लिखना तो हमें आता ही नहीं४. मुझे कौन जाने५. उलझे हुए सवाल६. ये डर क्यो है?७. कलम के किरदार ८. क्या ये अंधेरा मेरा है?९. मेरी कलम से कुछ मांग तो१०. ये नग्में आपके है -------------------------------------------------------------------------------------------------- खुद की तलाश खुद को बनाने बैठा था "मै"। "पर", न जाने कितने रिश्ते खो गए।। और गर रिश्तो "पर" आश लिए बैठा रहता। तो "मै" का वजूद, शायद खो सा जाता।। "मै" का स्वालंभी होना गर गलत है, तो