अघोरी का श्राप सच्ची डरावनी कहानी 1996 - 1

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आज मेरी सुबह ही आँख खुल गई | और फिर मै उठ कर किचन की तरफ गया | वहाँ गया तो देखा की माँ रोटी बना रही थी | मै पानी पीकर घर से बाहर आँगन में आया और जाके झुले में बैठकर गाना गुनगुनाने लगा | आज सुबह का नाजारा बेहद ही शानदार था | आसमान एकदम साफ आईने की तरह दिख रहा था | हल्की सुरज की रौशनी | पंछियों की आवाज | हर तरफ चहल पहल ये सब मेरे मन को बहुत सुकुन दे रहे थे | एक फकीर बाबा बहुत ही मीठी आवाज में कुछ गुनगुना