सुनीता भैरवी को इस हालत में देखकर बहुत घबरा गई थी। उसने भैरवी को अंदर बिठाया और उसे शांत कराने लगी। लेकिन भैरवी चुप ही नहीं हो रही थी। वो बार बार घोष अंकल और उल्टा पैर बोले जा रही थी। उसे शांत कराने में बहुत समय निकल गया था। सुबह होने वाली थी।अब तक भैरवी सो गई थी। सुनीता को उसका चेहरा देखकर उसपर दया आ रही थी। उसे लग रहा था की भैरवी को घोष अंकल को खोने से सदमा पहुंचा है। अब तक सुनीता को भी