मोतीमहल--(अन्तिम भाग)

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कुछ ही देर में कमलनयनी ने खाना तैयार कर लिया और रणजीत से बोली___ चलो खाना तैयार है!! जी नहीं! मैं अकेले थोड़े ही खाऊँगा,तुम भी खाओ तभी अच्छा लगेगा,रणजीत बोला।। पहले तुम खा लो,बाद में मैं खा लूँगीं,कमल बोली।। ना जी ना! ऐसा कहीं होता है कि बनाने वाला बैठा रहे और जिसने कुछ ना किया हो वो खा ले,रणजीत बोला।। अरे,तुम मेरे मेहमान हो तो पहले तुम खाओ,कमल बोली।। ना जी !कहा जाए तो तुम मेरी मेहमान हो,ये घर मेरे रिश्तेदार का है,रणजीत बोला।। अच्छा,ठीक है,मै ही मेहमान हूँ,लो अब तो खा लो,कमल बोली।। ना जी! संग में