मोतीमहल--भाग(२)

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सत्यसुन्दर पायलों की छुनछुन की आवाज़ से फिर से सम्मोहित हो गया,वो बिस्तर से उठा,दरवाज़ा खोला और बाहर निकल गया,उसे फिर से वो सफ़ेद लिबास वाली लड़की दिखी और वो उसके पीछे पीछे जाने लगा,वो लड़की कभी पेड़ की ओट में छुप जाती तो कभी झाड़ियों में और सत्यसुन्दर उसे ढ़ूढ़ कर फिर उसके पीछे पीछे जाने लगता,वो उसे फिर से मोतीमहल के पास तक ले गई और कुएँ के पास जाकर रूक गई,अब सत्यसुन्दर से ना रहा गया और उसने उससे पूछ ही लिया ___ ऐ...सुनो...आखिर तुम कौन हो ? जिसके पीछे मैं पागलों की तरह भागा चला जा