कोरोना प्यार है - 16

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(16)‌‌‌‌‌ "मां आपने देखा! पिताजी और वो नौकरानी••।" कक्ष के पास खड़े विराज को पीठ पिछे से आती हुई सुमित्रा ने चौंकाया। विराज गुस्से में था। "शांत रहो विराज। ठाकुर परिवार में यह सब चलता है।" सुमित्रा ने विराज के कन्धे पर हाथ रखते हुये कहा। "लेकिन मां वो दो टके की नौकरानी के साथ•••। नहीं मैं उसे जान से मार दूंगा।" विराज ने कहा। सुमित्रा उसे हाथ पकड़कर अन्य कक्ष में ले गयी। "बेवकूफ मत बन विराज। जब ठाकुर साहब की दवा दारू घर में ही हो रही है तो हमारे लिए इससे अच्छी बात क्या है?" सुमित्रा ने