(11) "लाओ! मैं तुम्हारी कमर में आयोडेक्स लगा दूं।" पार्थ ने सुजाता से कहा। सुजाता माहवारी के कठिन दिनों से गुजर रही थी। कमर और पेट के दर्द से वह बेहाल थी। "पता है पार्थ। अभी आप सभी की छुट्टी है। मगर इन छुट्टीयों में घर की औरतों का काम तो और भी ज्यादा बड़ गया है।" सुजाता बेड पर उल्टे मुंह लेट गयी। पार्थ उसकी कमर पर बाम की माॅलिश करने लगा। "सही है सुजाता। तुम भी कितना काम करती हो।" पार्थ ने सहमती जाहिर की। "भगवान को पता था कि औरत को अपने जीवन में कभी आराम नही