मेरी कीमत क्या है ? (व्यंग्य)

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मेरी कीमत क्या है ? (व्यंग्य) हम ठहरे एक आम आदमी ........नहीं ... नहीं , जनता..... अरे......नहीं...... फिर राजनैतिक हो गया । खैर आप तो समझ ही गए है कि हम और आप एक जैसे है । अब हमारे नामों पर ही राजनैतिक दल चलने लगे है जिन्होंने हमारा ही नाम बदनाम कर दिया है । तो साहब अब अपने जैसे लोगों को अक्सर ही झोला ले कर बाजारों में देखा जा सकता है । हम भी एक दिन ऐसे ही बाजार में झोले के साथ विचरण करते हुए कुछ सस्ता और सस्ता खोज रहे