दमबाज

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इधर म्यान्मार मैं इस पहली फरवरी से स्थापित किए गए सैन्य शासन के विरोध में मैं वहां की जनता के बढ़ रहे जुलूसों को देखती हूं तो मुझे अपनी नानी के अधूरे उपन्यास का जन-विरोध याद आ जाता है। आज जिस प्रकार म्यान्मार के लोग अपनी नवनिर्वाचित नेता आंग सांग यू ची की रिहाई की मांग कर रहे हैं, सन 1931 में ग्रामीय खेतिहर अपने नेता, ऊ सया सैन को ब्रिटिश सरकार की फांसी से बचाने के लिए पेगु की सड़कें भर रहे थे। हथियारों से लैस। सन 1954 में लिखा जा रहा मेरी नानी का वह उपन्यास उन दिनों