छींक

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छींक का आना दिन की सुखद घटना लगती है। हमेशा से छींक आने के बाद भीतर राहत महसूस करता हूं। तब इच्छा हाेती है कि छींक फिर आए। जादूगर के दूसरी बार जादू दिखाने की तरह। बचपन में जब अचानक उठकर आंगन में सूर्य देखने लगता तो मां समझ जाती मुझे छोड़ी देर में छींक आने वाली है। छींक के इंतजार में आसमान देख रहा हूं। मां कहती हैं, तेरे छींक और सूर्य से क्या रिश्ता? इस सवाल का जवाब आज तक ठीक-ठीक नहीं दे सका। बस यही कहता, मेरे हर दिन की छींक सूर्य के पास होती है। जब