कोतवाल की गर्दन (व्यंग्य कथा )

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कोतवाल की गर्दन एक नगर था, छोटा सा । इस नगर में रहने वाले लोग बहुत ही भोले- भाले थे । वे सुनी बातों को सत्य समझते और जो दिखता उसे परमसत्य । इस नगर का कोतवाल भोला सा दिखता था और इतनी बड़ी दाढ़ी रखता कि उसकी गर्दन दिखाई ही नहीं देती । वैसे भी वो शरीफ लोगों के सामने इस तरह से आता कि गर्दन दिखाई ही न दे । नगर के लोग उसे बिना गर्दन का कोतवाल कहते । एक सर्वे के मुताबिक जिनकी गर्दन नहीं होती वे कुछ भी नहीं खाते