आपका पत्र मिला

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रश्मि को आज तक न तो किसी ने पत्र ही लिखा था और न ही उसने कभी किसी के पत्र की उम्मीद ही की थी. शायद इसीलिए कुछ आश्चर्य, कुछ कौतूहल और और कुछ विस्मय से उसने वह पत्र लिया और एक ही सांस में सारा पढ़ डाला.मटर छीलती मां उसके चेहरे के बदलते भावों को देखती रही. पत्र को मोड़ कर फिर से लिफाफे में डालकर जब वह अपने कमरे में जाने को मुड़ी तो मां ने पूछा, ‘‘रश्मि, किस का पत्र है, जो तुम यूं बैचैन सी हो गई हो?’’‘‘ कोई खास नहीं मां, बस एक सहेली ने लिखा है.’’ अनमने भाव