चार्ली चैप्लिन - मेरी आत्मकथा - 40

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चार्ली चैप्लिन मेरी आत्मकथा अनुवाद सूरज प्रकाश 40 वह अक्सर बेवरली हिल्स वाले घर में मेरे बच्चों, चार्ली और सिडनी से मिलने के लिए चली आती थी। मुझे उसका पहली बार का आना याद है। मैंने अपना घर तभी बनाया ही था। घर अच्छी तरह से सजाया गया था और वहां पर पूरा स्टाफ था, बटलर, नौकरानियां वगैरह। वह कमरे में चारों तरफ देखती रही। फिर खिड़की में से चार मील दूर प्रशांत महासागर का दिखायी दे रहा नज़ारा देख रही थी। हम उसकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार कर रहे थे। "शांति भंग करना कितनी खराब बात है," कहा उसने। वह