चार्ली चैप्लिन - मेरी आत्मकथा - 39

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चार्ली चैप्लिन मेरी आत्मकथा अनुवाद सूरज प्रकाश 39 उन्होंने तब मुझे सुझाव दिया कि मैं उनकी इस्टेट लिम्पने में चला जाऊं जहां मुझे भरपूर शांति मिलेगी और मैं लोगों से दूर रह पाऊंगा। मेरी हैरानी का ठिकाना न रहा जब मैंने वहां पहुंच कर पाया कि मेरे कमरे में पीले और सुनहरी रंग के पेस्टल परदे थे। उनकी इस्टेट असाधारण रूप से खूबसूरत थी। घर को चमक दमक से सजाया गया था। फिलिप इसे कर पाये क्योंकि उनकी अभिरुचि बहुत ऊंची थी। मुझे याद है कि मैं ये देख कर कितना प्रभावित हुआ था कि मेरा सुइट विलासिता की सभी