मोबाइल में गाँव - 17 - चलते-चलते दिल्ली भी घूम लें

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चलते-चलते दिल्ली भी घूम लें -17 ममा पैकिंग कर रही थीं पर उसका पैकिंग करने का बिल्कुल भी मन नहीं था । रोहन भी उनके जाने की बात सुनकर बेहद उदास हो गया था । उसे लग रहा था कि काश ! वह यहीं रूक जाती पर यह संभव नहीं था । पापा-ममा की छुट्टियों के साथ उसकी भी छुट्टियाँ समाप्त होने वाली थीं । चाचा के साथ चाची और रोहन को भी उन्हें दिल्ली छोड़ने जाते देखकर सुनयना यह सोचकर खुशी से भर गई कि