सुनहरा बटुआ उन से पहले उनका सामान अन्दर आया था..... दो कुलियों के साथ एक बड़ा सूटकेस, वी.आई.पी..... एक मीडियम स्काय बैग जिस के हत्थे पर लगे लेबल हल ही में किसी हवाई यात्रा की सूचना दे रहे थे..... एक लंबी प्लास्टिक टोकरी जिस की जाली के बीच की खाली जगहों से अमरीकन या ऑस्ट्रेलियन सेब और नाशपाती और बिसलेरी की पानी की बोतलें देखी जा सकती थीं..... फिर एक स्त्री आयी थी..... अपना एक हाथ अपने कंधे से झूल रहे अपने सुनहरे बटुए पर टिकाए और दूसरे हाथ में एक हलका रुमाल सँम्भाले..... ‘पंद्रह और सत्रह नम्बर कहाँ पड़ेंगे?’