देहगंध

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उसने इत्र की शीशी अपने दाहिने हाथ में ली और अपने बाएं हाथ की तरफ धीरे से बढ़ा दी ,हथेली को उल्टा करके रुई के फाहे से उसपर खुशबू बिखेर ली और उस हाथ को अपनी नाक के पास ले जाकर उसकी खुशबू को महसूूू करने लगी। इस खुशबू ने उसके चेहरे के भाव बदल दिए जैसे किसी अजनबी से इस आस में मिली हो कि वो कोई अपना ही है पर मिलते ही अजनबीपन का अहसास हो गया हो... उसने इत्र की दुकान वाले को इत्र की दो शीशी के पैसे दिए और इत्र हाथ मे लिए बाहर की