कर्मा - 4 - स्वागत नहीं करोगे हमारा

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स्वागत नहीं करोगे हमारा... (गतांक से आगे) प्रिया और चंदन सिद्धार्थ को घूर रहे थे। चंदन ने सिद्धार्थ के पीठ पर थपकी देते हुए उसे विचारों के भंवर से बाहर निकाला " अबे कहां खोया हुआ है तू.. सामने देख " सिद्धार्थ उन जादू भरी आंखों के माया जाल से निकल हकीकत की दुनिया में आ चुका था। " आई..आई एम सॉरी मैं वो कुछ नहीं.. मेरा मतलब.. हाय आई एम सिद्धार्थ " कहते हुए वह चेयर से उठ गया। "तो? तो क्या करूं मैं पूछ रही हूं कि आप मुझे इस तरह से क्यों घूर रहे हो? " फिर