दीन दयाल उपाध्याय का एकात्म-मानवतावाद और हमारा साहित्य रामगोपाल भावुक मो0 9425715707 आज हम एकात्मवाद का दर्शन पर विचार करें। उसके पहले उसे समझें कि यह एकात्मवाद क्या है? प्ं. दीन दयाल उपाध्याय के एकात्मवाद का उनका अपना पक्ष यह है कि उस पर सर्वतोन्मुखी होकर ही विचार करना चाहिए। हम सर्वात्म के पक्षधर हैं। हमारा सत्-चित्- आनन्द में विश्वास है। हम हैं कि हर पहलू को खण्ड खण्ड करके देखते हैं। मैंने दीनदयाल नगर ग्वालियर में हाउसिंग वोर्ड से मकान क्रय कर लिया था। उस समय तक मैंने उनका नाम ही