जिराफ चला अपनी तलाश में

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दो चित्र कथाएँपहली कहानीजिराफ चला अपनी तलाश मेंसजधज कर लंबू जिराफ निकला घर से.स्केटिंग करता आया बंदर,पूछा-कहां चले?जिराफ चलते-चलते बोला-यह ढूंढने कि मैं चाहता क्या हूं?बंदर बोला- दूसरों की नकल करो.यही अकलमंदी का काम है.सामने से गुजरते ऊंट ने कहा-नाम के हिसाब से काम करना चाहिए.जैसे मैं ऊंट,करूं काम ऊट-प-टांग.मेरा चलना,उठना,बैठना,खाना-पीना सब ऊट-प-टांग.जिराफ ने उसे अनसुना किया और आगे बढ़ा.आगे एक शुतुरमुर्ग तेज दौड़ते हुए हवा में उड़ने की कोशिश कर रहा था.जिराफ की बात सुनकर वह बोला-शाबाश,नाकामियों से घबराना नहीं,कोशिश करते जाना.जिराफ मुस्कराकर आगे बढ़ गया.आगे एक भालू मिला जो पैर फैलाकर जमीन पर लेटा ऊंघ रहा था.जिराफ की