प्रेमम पिंजरम - 2

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8 जनवरी 1946,पॉलंपल्लाई , मधुराई9:45 , रात्रि का समय,प्रिय डायरी ,ठंड का कोहरा और भी घना हो चुका था, अब पेड़ों में पत्तें ना बचे थे, सब नंगे हो चुके थे, अब हरियाली ऐसे हो गई थी कि मानो ईद का चांद, हल्की सी झलक ही दिख जाया करती थी, आज की सुबह बेहद रेशमी और शुभ समाचार वाली थी, बेहद खुशनुमा और रोमांच से भरी, मैंने किसी को यह बताने के लिए नहीं कहा कि मै आज कौन सी बड़ी चीज़ को भूल रही हूं पर मुझे याद ही नहीं आया, मिशनरी स्कूल में मेरी स्कूली शिक्षा बहुत ही