जनजीवन - 5

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चिन्ता, चिता और चैतन्य चिन्ता, चिता और चैतन्य जीवन के तीन रंग। चिन्ता जब होगी खत्म तब होगा जीवन में आनन्द का शुभारम्भ। चिन्ता देती है विषाद, दुख और परेशानियां और देती है सकारात्मकता मे अवरोध का अहसास इससे हममें जागता है चिन्तन। चिन्ता के कारण पर धैर्य, साहस और निडरता से करो प्रहार जिससे होगा इसका संहार। ऐसा न होने पर चिन्ता तुम्हें ले जाएगी चिता की ओर तुम्हारे अस्तित्व को समाप्त कर देगी। चिन्ताओं से मुक्ति देगी कलयुग में सतयुग का आभास सूर्योदय से सूर्यास्त तक चैतन्य में जीवन जीने का हो प्रयास परम पिता परमेश्वर से