असत्यम्। अशिवम्।। असुन्दरम्।।। - 15

  • 6.7k
  • 1.9k

15 कोई कुछ नहीं बोला। सन्नाटा बोलता रहा। झिगुंर बोलते रहे। मकड़ियांे ने संगीत के सुर छेड़े। रात थोड़े और गहराई। यशोधरा बोली। ‘आज मेरी काम वाली ने बताया कि कल और परसांे की छुट्टी करेंगी। जब पूछा क्यांे तो बताया नया साल है, मैं...मेरे मां-बाप और भाई-बहन सब नया साल मनायेंगे। छुट्टी लंेगे। शहर घूमंेगे, बाहर खाना खायंेगे। और लगातार दो दिन यही करंेगे।’ ‘तो इसमंे नया क्या है।’ झपकलाल बोला। ‘उन्हंे भी अपना जीवन जीने का हक है।’ ‘जीवन जीने का हक !’ ‘क्या तो वे और क्या उनका जीवन।’ ‘फिर एक नई कविता लिखना चाहता हूं बात