जनजीवन - 3

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दस्तक मेरे स्मृति पटल पर देंगी दस्तक तुम्हारे साथ बीते हुए लम्हों की मधुर यादें, ये हैं धरोहर मेरे अन्तरमन की इनसे मिलेगा कभी खुशी कभी गम का अहसास जो बनेगा इतिहास यही बनेंगी सम्बल दिखलाएंगी सही राह मेरे मीत मेरी प्रीत भी रहेगी हमेशा तुम्हारे साथ तुम्हारे हर सृजन में बनकर मेरा अंश यही रहेगी मेरी और तुम्हारी सफलता का आधार जीवन में करेगी मार्गदर्शन और देगी दिशा का ज्ञान। ये न कभी खत्म हुई है न कभी खत्म होगी। आजीवन देती रहेंगी तुम्हारे साथ सागर से भी गहरी है तुम्हारी गंभीरता और आकाश से भी ऊँची हो