मैं भारत बोल रहा हूं-काव्य संकलन - 13

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मैं भारत बोल रहा हूं 13 (काव्य संकलन) वेदराम प्रजापति‘ मनमस्त’ 51. खूब कबड्डीं खिली------ खूब कबड्डीं खिली कि,अब तो पाला बदलो। अंदर लग गई जंग कि,अब तो ताला बदलो। भुंसारो अब भयो, रात की करो न बातें। खूब दुलत्तीं चलीं, चलें नहीं अब वे लातें। उठ गई अब तो हाठ, अपऔं सामान बॉंध लो- सबें ऑंधरों करों, चलें नहीं अब वे घाते। गयीं चिरईयाँ बोल कि,करबट लाला बदलो।। खूब पुजापे दऐ, मिन्नते करी रात-दिन। सौ तक गिनती भयी, लौटके फिर से अब गिन। तुमने एक न