व्यंग्य से शल्य-क्रिया

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व्यंग्य लेख व्यंग्य से शल्य-क्रिया रामगोपाल भावुक आज नगर में खूब चहल-पहल है। एनाउंसमेंट करने वाले एनाउंस करते फिर रहे हैं-’’आज नगर में पहलीबार हास्य के अवतार काका चोखेलाल पधार रहे हैं। सिंधी धर्मशाला में शाम सात बजे आना न भूलें।’’ मुझे भी कवि सम्मेलन में बुलाया गया है। काका का नाम सनुकर मेरा दिल धड़क रहा है। इतने बड़े कवि के सामने मेरी कविता को कौन सुनेगा? सारे दिन सोचता रहा, वहाँ कौनसी कविता सुनाऊँ? मजदूरों वाली कविता, नही-नही वहाँ कविता सुनने वाले मजदूर नहीं कैपीटलिस्ट होंगे। यह कविता उन्हें पसन्द नहीं आएगी। वे मजदूरों की पीड़ा को