केबीएल पांडे के गीत ऐसा क्यों होता है ऐसा क्यों होता है कि धुले खुले आसमान में अचानक भर जाते हैं धुंए और आग की लपटों के बादल धुंआ जिससे होना चाहिए था हर घर में चूल्हा सुलगने का अनुमान लपट जिससे निकलना चाहिए थी सिकती हुई रोटी की महक लपट जिसमें दमकता खेलकर लौटे बच्चों और काम पर से लौटे आदमी को रोटी परोसती ग़हिणी के चेहरे पर सुख और सन्तोष पर कहां से उपजी है यह सीलन जिसने आग और चूल्हे के रिश्तों में भर दिया है ठंडापन धुआं किसके इशारों पर हो गया है बदचलन ऐसा क्यों