एक पाँव रेल में: यात्रा वृत्तान्त - 11

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एक पाँव रेल में: यात्रा वृत्तान्त 11 11 कुरुक्षेत्र में एकलव्य पानीपत की जैमनी साहित्य अकादमी से मेरे रत्नावली उपन्यास पर सम्मान का आमंत्रण मिला। किसी भी रचनाकार की कृति को सम्मानित किया जाना उसके लिये सुखद अनुभूति है। लम्वे समय से चित्त में एकलव्य पर कलम चलाने का विचार चल रहा था। किसी विषय पर कलम चलाने से पहले उस पर होमवर्क करना आवश्यक मानता रहा हूँ। मैंने प्रत्येक लेखन के पूर्व होमवर्क किया है। इससे लेखन में विश्वसनीयता का सहज बास हो जाता है। कुरुक्षेत्र का नाता महाभारत कालीन इतिहास से रहा है।